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दार्शनिक विचार

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Alamat saluran: @darshnikvichar
Kategori: Tidak terkategori
Bahasa: Bahasa Indonesia
Pelanggan: 1.79K
Deskripsi dari saluran

विद्रोह ही अध्यात्म की आधारशिला है ।
💬 @Acharyaprashant
https://twitter.com/aach_prashant

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Pesan-pesan terbaru

2023-04-27 06:08:38 गोड़से

मैं एक हिंदू हूं इसलिए मैं पुनर्जन्म में पूरा विश्वास रखता हूं। मैं जानता हूं कि मुझे फांसी दी जाएगी और मैं एक अकाल-मृत्यु को प्राप्त हो जाऊंगा, लेकिन मेरा पुनर्जन्म होगा। मैं भगवान से प्रार्थना करता हूं कि मैं गांधी के साथ ही पुनर्जन्म होगा मैं भगवान से प्रार्थना करता हूँ मैं गांधी के साथ ही पुनर्जन्म ले सकूं ताकि मैं उन्हें अगले जन्म में भी दोबारा मार सकूं।

~ नाथूराम गोडसे
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2023-04-25 18:42:44 मोहो विनिर्जितो येन स मुक्तिपदमर्हति
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2023-04-25 12:37:13 जो पुरुष श्रुतियोंका प्रमाण स्थिर मानता है उस पुरुषकी स्वधर्म में श्रद्धा भक्ति होती है श्रद्धा होने से वृद्धिशुद्धि होती है बुद्धि- शुद्धि होनेसे परमात्मज्ञान होता है परमात्मज्ञान होनेहीसे समूल संसार का नाश होता है
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2023-04-24 12:52:23
गोड़से की वसीयत...

प्रिय बंधु दत्तात्रेय,,

मेरे अंतिम संस्कार करने का अधिकार अगर आपको मिलता है तो आप अपनी इच्छा से उसे किसी भी तरह कर सकते हैं। लेकिन मेरी एक ही विशेष इच्छा में यहां लिख रहा हूँ। अपने भारतवर्ष की सीमा रेखा सिंधु नदी है जिसके किनारों पर वेदों की रचना प्राचीन द्रष्टाओं ने की है। वह सिंधु नदी जिस शुभ दिन फिर से भारतवर्ष के ध्वज की छाया में स्वच्छंदता से बहेगी उस दिन मेरी अस्थियां उस सिंध नदी में बहा दी जाएं) मेरी यह इच्छा पूरी होने में शायद और भी एक-दो पहले भी पीढ़ियों का समय लग जाए तो भी चिन्ता नहीं है। उस दिन तक मेरे अवशेष वैसे ही रखो। और आपके जीवन में वह शुभ दिन न आया तो आपके वारिसों को यह मेरी अंतिम इच्छा बतलाते जाना। अगर न्यायालय में दिये मेरे बयान पर से सरकार कभी प्रतिबंध हटाएगी तो उसके प्रकाशन का अधिकार भी मैं आपको दे रहा हूं। मैंने 101 रुपये आपको आज दिए हैं वह आप सौराष्ट्र में सोमनाथ मंदिर का जो पुनरोद्धार हो रहा है, उसके कलश के कार्य के लिए भेज देना।

~ श्री नाथूराम गोडसे
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2023-04-23 06:26:54 जब जब कोई मानसिक रूप से विक्षिप्त होता है तब तब आवश्यक नहीं है कि वह कपड़े ही फाड़ेगा ; कभी कभी ऐसा व्यक्ति मज़हबी किताब भी लिख सकता है।
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2023-04-20 13:00:38


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2023-04-20 11:22:08
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2023-04-17 18:17:28 मरने के लिए! जी रहे हैं हम

जीने का उद्देश्य मोक्ष भी हो सकता है,
हमारा केन्द्र बिंदु आत्मा हो सकता है,
पर हमारा प्रयोजन ऐसा कुछ नहीं हैं; हमें बस अपने शरीर के मरने की प्रतीक्षा है जब तक मर नहीं जाते तब तक हमें जीना पड़ रहा है।
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2023-04-17 13:22:38



23 march Bhagat Singh, rajguru, sukhdev
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2023-04-14 15:45:42 अंबेडकर की दृष्टि में मुस्लिम समाज...

इस्लाम में जिस भाईचारे की बात की गई है वह मानवता का भाईचारा नहीं है बल्कि उसका मतलब सिर्फ मुसलमानों का मुसलमानों से भाईचारा है। मुसलमानों के भाईचारे का फायदा सिर्फ उनके अपने लोगों को ही मिलता है और जो गैर-मुस्लिम हैं उनके लिए इस्लाम में सिर्फ घृणा और शत्रुता ही है।

मुसलमानों की वफादारी उस देश के लिए नहीं होती जिसमें वह रहते हैं, बल्कि उनकी वफादारी अपने धर्म के लिए होती है जिसका कि वह पालन करते हैं। दसरे शब्दों में कहें, तो इस्लाम सच्चे मुसलमानों को भारत को अपनी मातृभूमि और हिंदुओं को अपना निकट संबंधी मानने की इजाजत नहीं देता है।

"यह मुस्लिम 'ब्रदरहुड' का ही आधार है जो भारत के हर मुसलमान को यह कहने के लिये प्रेरित करता है कि वह मुसलमान पहले है और भारतीय बाद में। इसी भावना की वजह से भारतीय मुसलमानों ने भारत की तरक्की में बहुत छोटी भूमिका निभाई है और अपनी शक्ति मुस्लिम देशों के लिए व्यर्थ कर दी। क्योंकि एक मुसलमान की सोच में मुस्लिम देशों का स्थान पहला है और भारत का स्थान दूसरा है।

मुसलमानों के लिए हिंद 'काफिर' हैं और उनकी कोई सामाजिक स्थिति नहीं होती है। इसलिए जिस देश में काफिरों का शासन हो, वह देश मुसलमानों के लिए 'दार-उल-हर्ब' (जहां मुसलमानों की हुकूमत नहीं है) है। ऐसी स्थिति में यह साबित करने के लिए सुबूत देने की आवश्यकता नहीं है कि मुसलमानों के अंदर हिंदू सरकार के शासन को स्वीकार करने की शक्ति मौजूद ही नहीं है।

~ डाॅ. भीमराव अम्बेडकर
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