जो पुरुष श्रुतियोंका प्रमाण स्थिर मानता है उस पुरुषकी स्वधर्म | दार्शनिक विचार
जो पुरुष श्रुतियोंका प्रमाण स्थिर मानता है उस पुरुषकी स्वधर्म में श्रद्धा भक्ति होती है श्रद्धा होने से वृद्धिशुद्धि होती है बुद्धि- शुद्धि होनेसे परमात्मज्ञान होता है परमात्मज्ञान होनेहीसे समूल संसार का नाश होता है