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Alamat saluran: @hindi_shayaris
Kategori: Tidak terkategori
Bahasa: Bahasa Indonesia
Pelanggan: 469
Deskripsi dari saluran

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2023-02-09 08:32:35 ऐसा नहीं कि तेरे दिवाने नहीं हम
बस इन नज़रों से दिखाते नहीं हम

देख तुझे,ये दिल जैसे धड़कता है
ऐसे तो धड़कना सिखाते नहीं हम

लेते हैं सहारे इन इनायतों के हम
जज़्बातों से तुझे लिखाते नहीं हम

तौबा तौबा उफ़ अब हमारी तौबा
छोड़ो‌, जुल्म तेरे गिनाते नहीं हम

तेरी यादों में गुजरे तो गुजर जाये
ज़िंदगी यूं भी तो बिताते नहीं हम

हैसियत बढ़ ना जाये तेरी "दिव्या"
आँखें,ख्वाबों से जिताते नहीं हम
339 viewsAhad shah, 05:32
Buka / Bagaimana
2022-10-26 11:30:39 “ये अलग बात है कि मुक़द्दर नहीं बदला अपना,

एक ही दर पे रहे…दर नहीं बदला अपना।”

751 viewsAhad shah, 08:30
Buka / Bagaimana
2022-10-26 03:41:31 "चाय वाली"

मेरे गाँव में सड़क के किनारे एक छोटी-सी चाय की दुकान थी । उस दुकान को एक महिला चलाती थी । वह इस गाँव की नहीं थी इसलिए उसका इस गाँव में उस छोटी-सी झोपड़ी के अलावा और कोई ठिकाना न था । वह अपना और अपने बच्चों का भरण-पोषण इसी छोटी-सी दुकान से करती थी । गाँव के सभी बच्चे, बूढ़े और जवान उसकी दुकान के ग्राहक थे । गाँव में कोई और चाय की दुकान भी तो नहीं थी ।

मैं जब अपने बचपन के दिनों को याद करती हूँ तो उन यादों में उसकी चाय की सोंधी खुशबू भी शामिल होती है जो उस चायवाली के कोयले के चूल्हे पर उबलती रहती थी । जब मैं अपने दादाजी के साथ उसकी दुकान पर जाती तो काँच के जार में रखे पंजों के आकार के बड़े-बड़े बिस्किट मुझे आकर्षित करते थे । दादाजी तो चाय पीने बैठ जाते और मैं अपने सभी भाई-बहनों के लिए गिनकर बिस्किट लेती और भाग आती ।

हालाँकि गाँव के अधिकतर लोग चाय नहीं पीते थे लेकिन मेरे दादाजी उसके नियमित ग्राहक थे । एक दिन मैंने दादाजी से पूछ ही लिया- "दादाजी ! अपने घर में तो रोज़ चाय बनती है, तो फिर आप चाय वाली की दुकान पर चाय पीने क्यों जाते हैं ?"
पहले तो दादाजी ने मुझे बहलाते हुए कह दिया- " तुम्हारे लिए बिस्किट जो लाना होता है ।"
लेकिन उनके इस जवाब से मैं कहाँ संतुष्ट होनेवाली थी। फिर उन्होंने मुझे समझाया कि उसकी दुकान पर चाय पीने के कई उद्देश्य हैं ।

दादाजी ने कहा- " सुबह जब मैं टहलने के बाद चाय पीने जाता हूँ तो मेरे साथ और भी कई लोग होते हैं और सभी साथ में चाय भी पीते हैं । इससे मेरा सबसे मिलना-जुलना भी हो जाता है और साथ में उस गरीब की चाय ज़्यादा बिकती है । फिर शाम के समय भी सभी अपने-अपने काम से लौटते हैं तो चाय के साथ गाँव की समस्याओं पर चर्चा भी हो जाती है ।"
"अच्छा ! तो आप चायवाली की सहायता के लिए चाय पीते हैं !"अब मूल उद्देश्य मेरी समझ में आ चुका था ।
"बिल्कुल सही समझा तूने ! तो अब चलूँ चाय पीने ।" दादाजी उठकर जाने लगे ।
"दादाजी ! जब बात सहायता की है तब तो बिस्किट खरीद कर मैं भी उसकी सहायता करुँगी । तो फिर चलिए दादाजी, चाय पीने !"

आज सालों बाद गाँव की स्थिति बिल्कुल बदल चुकी है । चाय वाली की उस दुकान के आस- पास पूरा बाजार सज गया है पर वह चाय की दुकान अभी भी वहीं है । वही कोयले के चूल्हे पर खौलती चाय, काँच के जार में से झाँकते बिस्किट और वही चायवाली । अभी भी जब मैं उसकी दुकान पर जाती हूँ तो उसकी बूढ़ी नजरें मेरे चेहरे में मेरा बचपन ढूंढ़ती हैं और पहचानते ही उसके काँपते हाथ काँच के जार को खोलकर बिस्किट निकालने लगते हैं और मैं कहती हूँ-
"आज बिस्किट के साथ चाय भी पीऊँगी।"
और हम सभी भाई-बहन, जो दादाजी का पूरा कुनबा हैं, दुकान पर बैठ कर चाय पीते हैं ।
हाँ ! गाँव वालों को हमारा ये लड़कपन थोड़ा अजीब लगता है, पर हमारे लिए तो ये तीर्थ का अनुभव है और चाय वाली की चाय के रूप में प्रसाद पाकर हमलोग तृप्त हो जाते हैं ।
745 viewsAhad shah, 00:41
Buka / Bagaimana
2022-10-24 08:29:32 गिर गए कुछ लोग मेरी नजरो से

अपने गुरुर और हरकतों की वजह से
642 viewsAhad shah, 05:29
Buka / Bagaimana
2022-10-24 08:28:48 साथ जब भी छोड़ना
तो मुस्कुराकर छोड़ना ऐ दोस्तों
ताकि दुनिया ये ना समझे हम में दूरी हो गयी...
634 viewsAhad shah, 05:28
Buka / Bagaimana
2022-10-23 06:17:33 चीर देते हैं लफ्ज़ नस्तर की तरह,
कर्ज़ उतरता ही नहीं इश्क़-ए-उधारी का ।

जानते सबकुछ है पर ख़ामोश रहते हैं,
बताएंगे कभी हुनर उनकी मक्कारी का ।
677 viewsAhad shah, 03:17
Buka / Bagaimana
2022-10-23 06:17:18 कोशिश यही थी कि आदत पुराने छोड़ेंगे,
हमें पता नहीं था कि यार पुराने छोड़ेंगे ।

एक नेकी का दीवार तेरे दिल पर भी बना,
हम यादों के लिबास सारे पुराने छोड़ेंगे ।
667 viewsAhad shah, 03:17
Buka / Bagaimana
2022-08-15 20:07:30 ख़्वाब नहीं वो आने दूँगा
जिसमें तुमको जाने दूँगा

बड़े दिनों के बाद मिले हो
ऐसे कैसे जाने दूँगा

सबको प्यार मुहब्बत वाले
गली गली अफ़साने दूँगा

तुमको इतनी आसानी से
क्या लगता है जाने दूँगा

बाद तुम्हारे इस जीवन में
और न कोई आने दूँगा

मुझको छोड़ के जाने वाला
आया अगर तो ताने दूँगा

चाहे अब जो भी हो जाए
उसको अब न सताने दूँगा
@Hindi_shayaris
995 viewsDigital shah, 17:07
Buka / Bagaimana
2021-10-04 08:10:52 खूब किताबें भरी लिख लिख कर अपना समय बिताया,
पर मेरे लेखन को जब पढ़ने वाला कोई न मिल पाया ।

तब कुछ एप्प तलाशने का विचार मेरे हृदय में आया,
तब जाकर टेलीग्राम व रेख़्ता ने रास्ता दिखाया ।
@Hindi_shayaris
2.4K viewsDigital shah, 05:10
Buka / Bagaimana
2021-10-04 08:10:24 एक खामोशी थी हमारे बीच,
जो कभी पटी नहीं ।
मसला अना का था वो डटा रहा,
और मैं भी हटी नहीं ।
@Hindi_shayaris
2.3K viewsDigital shah, 05:10
Buka / Bagaimana