ऐसा नहीं कि तेरे दिवाने नहीं हम बस इन नज़रों से दिखाते नहीं हम | *तुम-कमज़र्फ-हो
ऐसा नहीं कि तेरे दिवाने नहीं हम
बस इन नज़रों से दिखाते नहीं हम
देख तुझे,ये दिल जैसे धड़कता है
ऐसे तो धड़कना सिखाते नहीं हम
लेते हैं सहारे इन इनायतों के हम
जज़्बातों से तुझे लिखाते नहीं हम
तौबा तौबा उफ़ अब हमारी तौबा
छोड़ो, जुल्म तेरे गिनाते नहीं हम
तेरी यादों में गुजरे तो गुजर जाये
ज़िंदगी यूं भी तो बिताते नहीं हम
हैसियत बढ़ ना जाये तेरी "दिव्या"
आँखें,ख्वाबों से जिताते नहीं हम