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ना हमसफ़र, ना किसी हमनशी से निकलेगा, हमारे पाँव का काँटा... हम | Rahat Indori Shayari Poetry

ना हमसफ़र, ना किसी हमनशी से निकलेगा,
हमारे पाँव का काँटा... हम ही से निकलेगा...
डॉ. राहत इंदौरी