2023-04-13 09:19:18
देश की स्वतंत्रता हेतु अपने प्राणों की आहुति देने वाले 'जलियांवाला बाग ' के अमर बलिदानियों को कोटिशः नमन।
माँ भारती के वीर सपूतों का बलिदान स्थल 'जलियांवाला बाग ' चिरकाल तक हर भारतवासी के हृदय में राष्ट्र सेवा की ज्योति जागृत करता रहेगा।
10 मार्च, 1919 को इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल द्वारा एक और शोषणकारी कानून ‘रॉलेट एक्ट’ पास किया गया।
इस कानून के मुताबिक ब्रिटिश सरकार किसी भी व्यक्ति को देशद्रोह की आड़ में बिना वॉरण्ट के गिरफ्तार कर सकती थी;
प्रेस पर सेंसरशिप लगा सकती थी और नेताओं को बिना मुकदमे के जेल में रख सकती थी।
महात्मा गाँधी इस तरह के अन्यायपूर्ण कानूनों के खिलाफ अहिंसक सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू करना चाहते थे, जो 6 अप्रैल, 1919 को शुरू हुआ |
इसी दौरान शांतिपूर्ण विरोध कर रहे लोगों पर 13 अप्रैल, 1919 को जलियाँवाला बाग में आयोजित एक शांतिपूर्ण बैठक में शामिल लोगों पर ब्रिगेडियर जनरल रेगीनॉल्ड डायर ने गोली चलाने का आदेश दिया था,
जिसमें हजारों निहत्थे पुरुष, महिलाएँ और बच्चे मारे गए थे।
भविष्य में इस प्रकार के किसी भी विरोध को रोकने हेतु सरकार ने मार्शल लॉ लागू किया और पंजाब में कानून व्यवस्था ब्रिगेडियर-जनरल डायर को सौंप दी गई।
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