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इंसान कितना भी कुछ पा ले, लेकिन जो सुकून अपनों के साथ, अपने गा | Political Sci. with Dr. Beniwal

इंसान कितना भी कुछ पा ले, लेकिन जो सुकून अपनों के साथ, अपने गाँव,अपने गाँव के खेतों में मिलता है, उसका कोई तोड़ नहीं,
काफी दिनों बाद मौका मिला खुद के साथ, खेतों के साथ जीने का, वहीं खेत जिनकी वजह से मैं आज इस मुकाम तक पहुँच पाया, कुछ अर्सों पहले ये खेत नियमित जीवन का हिस्सा थे, प्रतिदिन इनसे रूबरू होने का मौका मिलता था, लेकिन वक्त के साथ खेत और गांव की जमीन एक किस्सा या कहानी बनकर रह गए।
काफी समय बाद फिर से इनसे रूबरू होने का मौका मिला, इनके साथ वक्त बिताने में एक अलग ही सुकून है, सारे तनावों से मुक्ति का अहसास इन्ही खेतों में आकर होता है जिन्होंने बचपन से साथ निभाया।
एक किसान के लिए खेतों से बढ़कर कोई धन नहीं होता, खेतों में किए गए शारीरिक श्रम और अपनी मेहनत का प्रतिफल और सम्मान किसान को उसी अनुरूप मिले तो इससे बड़ा कोई स्वाभिमानपूर्ण कार्य नहीं, लेकिन अक्सर ऐसा होता नहीं और मजबूरन उन्हें अन्य पेशें (कार्य) की और रूख करना पड़ता है‌।
इस समय खेतों में नरमा(जिसे अमेरिकन कपास के नाम से जाना जाता है) बोया हुआ है।
कपास से खरपतवार निकालने के कुछ छायाचित्र